योगासन कई प्रकार के होते हैं जिनसे व्यक्ति के शरीर को अलग-अलग तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। कुछ आसन बैठकर किए जाते हैं तो कुछ खड़े होकर, वहीं कुछ योगासन लेट कर भी किए जाते हैं। लेट कर किए जाने वाले आसन सरल होने के साथ-साथ शरीर को स्वस्थ रखने में काफी मददगार होते हैं। यदि आप इन योगासनों के बारे में सारी जानकारी जानना चाहते हैं तो हमारे आज के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। इसमें हम आपको 10 लेटकर करने वाले आसन के नाम और लाभ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे।
Contents
लेटकर किए जाने वाले आसन
1. धनुरासन
धनुरासन लेट कर किए जाने वाला एक काफी लोकप्रिय आसन है। इसमें मनुष्य के शरीर का आकार धनुष के जैसा हो जाता है इसी वजह से इसका नाम धनुरासन पड़ा। इस मुद्रा को करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है –
- सबसे पहले जमीन पर योग मेट बिछा लें। उसके ऊपर आप अपने पेट के बल लेट जाइए।
- अब धीरे-धीरे अपनी दोनों टांगो को ऊपर अपने घुटनों की तरफ मोड़िए।
- उसके बाद अपने दोनों पैरों के टखनों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लीजिए।
- अब सांस भरते हुए अपनी जांघ, छाती, सिर और हाथों को ऊपर की तरफ उठाइए।
- कुछ देर तक इसी स्थिति में रहने के बाद सांस छोड़ते हुए वापस आ जाइए।
- इस प्रक्रिया को तीन से चार बार दोहराइए। उसके बाद फिर धनुरासन में आने के बाद अपने शरीर को आगे पीछे और दायें बायें हिलाइए।
धनुरासन के लाभ
- पेट की चर्बी घटती है और कमर पतली होती है।
- महिलाओं में गर्भाशय से संबंधित दोष दूर होते हैं।
- पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान करता है।
- शरीर की हड्डियों और मांसपेशियों का तापमान बढ़ाने के साथ-साथ रीढ़ की हड्डियों को लचीला बनाता है।
- कमर दर्द से राहत दिलाने में कारगर है।
2. शिथिलासन
इस योग मुद्रा में व्यक्ति का शरीर शिथिल रहता है जिसकी वजह से इसका नाम शिथिलासन है। इसे करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है –
- सबसे पहले फर्श पर दरी या फिर योग मेट बिछा लीजिए।
- अब अपने पेट के बल लेट जाइए और अपने सिर को दाएं तरफ घुमाइए।
- ध्यान रहे कि आपके सिर के मोड़ने की दिशा में आप का दायां घुटना भी मुड़ना चाहिए।
- दूसरे पैर को फैलाकर उसे बिल्कुल ढीला छोड़ दीजिए।
- अपने सारे शरीर को ढीला छोड़ कर अपनी आंखें बंद कर लीजिए।
- इस मुद्रा के दौरान आपको धीरे-धीरे सांस लेते रहना है और कुछ देर बाद अपना सिर दूसरी तरफ घुमा कर घुटना बदलकर थोड़ी देर इसी अवस्था में रहें।
शिथिलासन के लाभ
- शरीर के संपूर्ण अवयवों को काफी आराम मिलता है।
- शरीर की थकावट दूर करने में कारगर है।
- जिन लोगों को अच्छी नींद नहीं आती उन्हें अच्छी नींद आती है।
- अगर किसी व्यक्ति को रक्तचाप संबंधी बीमारियां हैं तो वह भी दूर होती हैं।
- टेंशन कम करने में भी यह आसन काफी फायदेमंद है।
3. विपरीत नौकासन (नाभि आसन)
यह मुद्रा नौकासन के विपरीत है इस योग मुद्रा में व्यक्ति का सारा शरीर नाभि के ऊपर होता है जिसकी वजह से इसे नाभि आसन भी कहा जाता है। इस योग मुद्रा को करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है –
- सबसे पहले पेट के बल लेट जाइए और नमस्कार की मुद्रा में अपने दोनों हाथों को सिर के आगे की तरफ कर लीजिए।
- अब अपने दोनों पैरों की एड़ियों को आपस में मिला दीजिए।
- उसके बाद सांस भरते हुए अपने दोनों हाथो, दोनों पैरों , छाती और सिर को ऊपर की तरफ उठाइए।
- अपने पेट और नाभि के ऊपर सारे शरीर को उठाने का प्रयास करें।
- कम से कम 2 से 5 सेकंड तक इस अवस्था में रहने के बाद सांस छोड़ते हुए वापस आ जाइए।
- इस आसन को चार-पांच बार दोहराइए।
नाभि आसन के लाभ
- पेट बलिष्ठ होता है।
- नाभि अपनी जगह पर स्थिर रहती है।
- हाथ और पैर मजबूत होते हैं।
- छाती को बल मिलता है।
4 भुजंगासन
यह आसन सांप के आकार के जैसा होता है और इसी वजह से इसको भुजंगासन कहा जाता है। भुजंगासन करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है –
- सबसे पहले फर्श पर शरीर के बल लेट जाइए और अपने शरीर को सीधा कर लीजिए।
- लेटते समय ध्यान रखें कि आपके दोनों पैर जमीन पर टिके रहें।
- अपने दोनों पैरों के अंगूठे और एड़ियों को आपस में मिलाकर रखिए।
- अपने दोनों बाजुओं को अपने धड़ की लंबाई के अनुसार सीधा रख लीजिए।
- अब अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ लाकर सिर के पास रख लीजिए।
- अपने दोनों हाथों पर वजन डालते हुए अपनी छाती को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाइए। ध्यान रखिए कि आपके पेट से नीचे का शरीर का पूरा हिस्सा जमीन पर रहना चाहिए।
- अपने पैरों को उंगलियों के ऊपर टिका कर रख लीजिए और अपनी पीठ को अपनी क्षमता के अनुसार मोड़ लीजिए।
- अब लगभग 5 बार अपना सांस धीरे धीरे अंदर लेकर बाहर की तरफ छोड़ें। इस आसन को शुरुआत में 30 सेकंड से ज्यादा देर तक ना करें बाद में आप टाइम बढ़ा सकते हैं।
भुजंगासन के लाभ
- शरीर के तनाव और थकान को दूर करने में सहायक है।
- साइटिका में राहत मिलती है।
- अस्थमा के रोगियों के लिए भी काफी लाभदायक है।
- शरीर की गर्मी को बढ़ाकर रोग को नष्ट करने में कारगर है और कुंडलिनी को जगाने में भी सक्षम है।
- रीढ़ की हड्डी को मजबूती देता है।
5. नौकासन
इस योग मुद्रा में व्यक्ति के शरीर नाव के जैसा बन जाता है जिसकी वजह से इसे नौकासन कहा जाता है। इसे करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है –
- अपनी पीठ के सहारे जमीन पर लेट जाइए और अपने हाथ व पैरों को सीधा लंबा फैला लीजिए।
- अब सांस भरते हुए अपने सीने और पैरों को एक साथ जमीन से ऊपर की तरफ उठाने का प्रयास करें।
- अपने दोनों बांहों को अपने दोनों पैरों की तरफ बढ़ाइए।
- ध्यान रहे कि आपकी आंखें उंगलियां और पैरों की उंगलियां एक ही दिशा में संरेखित हो।
- अपने संपूर्ण शरीर के भार पर कंट्रोल करते हुए अपने दोनों पैरों को सीधा रखने की कोशिश करिए।
- इस मुद्रा में आपके कंधों, जांघ और पेट के हिस्से में खिंचाव महसूस होना जरूरी है।
- थोड़ी देर इस अवस्था में रहने के बाद वापस आ जाइए।
नौकासन के लाभ
- डाइजेशन सिस्टम को बेहतर करता है।
- व्यक्ति के शरीर के संतुलन को सुधारता है।
- सारे शरीर की एलाइनमेंट को इंप्रूव करने में मददगार है।
- कमर को मजबूत बनाता है।
- शरीर के संपूर्ण निचले हिस्से को स्ट्रेच करता है।
- स्पाइन की मसल्स को स्ट्रेच करने के साथ-साथ नसों को मजबूती प्रदान करता है।
- हिप्स, कोर और एब्स की मसल्स को मजबूत बनाता है।
6. हलासन
इस योगासन में व्यक्ति के शरीर की स्थिति हल के आकार जैसी हो जाती है इसी वजह से इसे हलासन कहते हैं। हलासन करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है –
- सबसे पहले आपको सर्वांगासन की स्थिति में आना है।
- आप अपने सीधे उठे हुए दोनों पैरों को कमर से नीचे की तरफ झुका लीजिए।
- ध्यान रहे कि आपका सिर जमीन पर टिका रहे और आपके दोनों पैरों की उंगलियां भूमि से स्पर्श करनी चाहिए।
- आप आपने दोनों हाथों को जमीन के ऊपर सीधे रखिए और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
- इस मुद्रा में एक या दो मिनट रहने के बाद वापस आ जाइए।
- आपको अपनी रीढ़ की हड्डी और गर्दन की हड्डी पर खास तौर पर ध्यान देना है जिससे कि उन्हें आसन करते समय कोई नुकसान ना हो।
हलासन के लाभ
- जिन लोगों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें स्वस्थ करने में कारगर है।
- हर्निया से पीड़ित लोगों को स्वस्थ करता है।
- उदर रोग को दूर करने में लाभदायक है।
- रीढ़ की हड्डी को ठीक करता है।
- शरीर के भागों को मजबूत बनाता है जैसे कि कमर, नितंब इत्यादि।
7. सर्वांगासन
यह योग शरीर के सभी अवयवों के लिए फायदेमंद है और इसीलिए इसे सर्वांगासन के नाम से जाना जाता है। इसको करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है –
- सबसे पहले अपनी पीठ के बल लेट जाइए।
- अब अपने घुटनों को मोड़ते हुए अपनी एड़ियों से नितंबों तक लाकर स्पर्श करिए।
- आपके दोनों घुटने आपके पेट की तरफ होने चाहिए।
- अपनी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अब हल्का सा झटका देकर उसे ऊपर की तरफ उठाने का प्रयास करिए।
- आपके दोनों कंधे और फिर पूरी तरह से जमीन के ऊपर टिके हुए होने चाहिए।
- अब अपने दोनों पैरों को ऊपर की तरफ धीरे-धीरे उठाइए।
- इस अवस्था में रहने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि आपकी गर्दन पर बिल्कुल भी तनाव महसूस ना हो।
- लगभग 30 से लेकर 60 सेकंड तक आप इस आसन में रहे और इस दौरान लंबी लंबी गहरी सांसे लेते रहें।
- धीरे-धीरे वापस आ जाइए।
सर्वांगासन के लाभ
- व्यक्ति के मस्तिष्क की कमजोरी को दूर करता है।
- स्मरण शक्ति बढ़ाने में मददगार है।
- फेफड़े और हृदय को मजबूती देता है।
- शरीर के रक्त को शुद्ध करने का कार्य करता है।
- आंख संबंधित बीमारियों को ठीक करता है।
- पाचन शक्ति मजबूत करता है।
8. शवासन
इस योग मुद्रा में व्यक्ति का शरीर शव के जैसा निश्चल हो जाता है जिसकी वजह से इसे शवासन कहते हैं। इस योगासन को करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है –
- सबसे पहले जमीन पर अपनी पीठ के बल लेट जाइए और शरीर को ढीला छोड़ दीजिए।
- अपने दोनों हाथों की हथेलियों को अपनी जांघों से थोड़ी दूरी पर रखिए।
- अपने दोनों पैरों को फैलाकर अपनी एड़ियों से थोड़ी दूरी पर रखिए।
- अपनी आंखें बंद करके थोड़ी देर इसी अवस्था में रहिए और शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दीजिए।
- कुछ देर बाद इस योगासन से वापस आइए।
शवासन के लाभ
- सारे शरीर को काफी आराम मिलता है।
- थकावट दूर करता है।
- तनाव को दूर करने में भी सहायक है।
- शरीर के रक्तचाप को नियमित करता है।
9. तानासन
इस आसन में व्यक्ति के शरीर को तानकर खींचते हैं जिसकी वजह से इसे तानासन कहा जाता है। इस मुद्रा को करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है –
- तानासन करने के लिए सबसे पहले आप अपनी पीठ के बल जमीन पर लेट जाइए।
- आप अपने दोनों हाथों की हथेलियों को आपस में मिलाकर उन्हें ऊपर की ओर तान कर सीधा करिए।
- इसी प्रकार से अपने दोनों पैरों के अंगूठे आपस में बिल्कुल मिलाकर पैरों को सीधा करते हुए नीचे की तरफ खींचिए।
- इस स्थिति में आप को कम से कम 10 से लेकर 20 सेकंड तक रहना होगा।
- आसन करने के बाद शरीर को ढीला छोड़ दीजिए और इस प्रक्रिया को चार पांच बार दोहराएं।
- यह योग करते हुए आपको ध्यान रखना है कि आपके शरीर पर खिंचाव होना जरूरी है।
तानासन के लाभ
- व्यक्ति के शरीर की नसों और नाड़ियों में ताकत मिलती है।
- शरीर का आलस दूर होता है।
- थकावट को दूर करने में मददगार है।
10. द्विचक्रासन
यह आसन साइकिल चलाने के जैसा होता है और इसी वजह से इसको द्विचक्रासन के नाम से जाना जाता है। इस योगासन को करने की प्रक्रिया इस प्रकार से है –
- जमीन के ऊपर पीठ के बल लेट जाइए।
- अपने दोनों हाथों और दोनों पैरों को साइकिल के पैडल की तरह हिलाते हुए चलाइए।
- एक मिनट तक इस क्रिया को करने के बाद फिर रिवर्स में भी इसे करें।
- ध्यान रहे कि इस आसन को करते समय आपका सांस सामान्य गति से चलना चाहिए।
द्विचक्रासन के लाभ
- पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।
- पाचन में सुधार करने में फायदेमंद है।
- व्यक्ति के शरीर से एसिडिटी और कब्ज की समस्या को दूर करता है।
आगे पढ़ें:
- [Top 10] बैठकर करने वाले आसन और लाभ
- 100 योगासन के नाम और लाभ चित्र सहित
- तितली आसन के फायदे और नुकसान
- शीर्षासन के फायदे और नुकसान
- अधोमुखश्वानासन के लाभ, कैसे करें?
निष्कर्ष
10 लेटकर करने वाले आसन के नाम और लाभ के इस लेख में हमने आपको सारी जानकारी बताई। हमने इस आर्टिकल में आपको बताया कि लेट कर आप कौन-कौन से आसन कर सकते हैं। योगासनों के करने के तरीके और लाभ के बारे में भी हमने आपको महत्वपूर्ण जानकारी दी। हमें पूरी उम्मीद है कि हमारा यह लेख आपके लिए काफी हेल्पफुल रहा होगा। सारी इनफार्मेशन अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।