जल प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Water Pollution Essay in Hindi

आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आएं हैं जल प्रदूषण पर निबंध 100, 150,250, 500 शब्दों में। हमें पता है कि पानी हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है लेकिन फिर भी जल प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जबकि हम जानते हैं कि हम अपनी हर दिन की जरूरतों को पानी से ही पूरा करते हैं जैसे कि नहाना, खाना पकाना, फसलों की सिंचाई करना इत्यादि। इसीलिए लोगों को जागरूक करने के लिए जल प्रदूषण को रोकने के लिए बहुत से उपाय भी किए जा रहे हैं। इसके साथ ही साथ स्कूल के विद्यार्थियों को भी जागरूक करने के लिए उनसे जल प्रदूषण पर निबंध लिखवाया जाता है। अगर आप भी जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay in Hindi) ढूंढ रहे हैं तो हमारे आज के इस आर्टिकल को सारा पढ़ें। 

जल प्रदूषण पर निबंध

पानी हमारे जीवन के लिए बेहद आवश्यक है। बिना भोजन के हम कुछ दिनों तक जीवित रह सकते हैं लेकिन बिना पानी के हमारा जीवन संभव नहीं है। लेकिन ने यह ज्ञात होते हुए भी मनुष्य अपने दैनिक जीवन की गतिविधियों से पानी को लगातार दूषित करता जा रहा है।

कल कारखानों से निकलने वाले गंदे पानी और इंसानों द्वारा फैलाए गए कचरे से लगातार जल प्रदूषण फैल रहा है। जल स्रोतों को स्वच्छ बनाए रखने के लिए जल प्रदूषण के बारे में लोगों को जागरूक करना बेहद आवश्यक है।

जल प्रदूषण क्या है?

स्वच्छ जल के स्रोतों में दूषित और हानिकारक तत्वों का समावेश होना जल प्रदूषण कहलाता है। जल को दूषित करने वाले कारकों को जल प्रदूषक कहते हैं।

जल प्रदूषक कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे: कूड़ा-करकट, मल-मूत्र, कारखानों से निकलने वाला रसायन आदि। इन सभी कारकों की वजह से अलग-अलग प्रकार के जल स्रोत जैसे नदी, झील, समुद्र, भूमिगत जल, आदि प्रदूषित होते हैं।

प्रदूषित पानी मनुष्यों व जीव जंतुओं के लिए पीने योग्य नहीं होता इसके अलावा यह पेड़ पौधों के लिए भी हानिकारक हो जाता है।

जल प्रदूषण के मुख्य कारण

मनुष्यों द्वारा फैलाया जाने वाला कचरा ही जल प्रदूषण का मुख्य कारण है। कारखानों से निकलने वाला औद्योगिक कचरा, घरों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल, खेतों में डालने वाले कीटनाशक व उर्वरक, समुद्र में चलने वाले वाहनों से तेल और ईंधन का रिसाव, मलमूत्र, कूड़ा करकट जैसे कारक जल को प्रदूषित करते हैं।

ये सारे प्रदूषक तालाबों, नदियों को प्रदूषित करते हैं और नदियों से होते हुए समुद्र तक पहुंचते हैं और समुद्र के पानी को भी दूषित कर देते हैं। इससे पानी की गुणवत्ता में प्रभाव तो पड़ता ही है साथ ही ये पानी में रहने वाले जीव जंतुओं को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण के प्रभाव

जल प्रदूषण का प्रभाव संपूर्ण जीव जगत पर पड़ता है जिसमें मनुष्य, पशु-पक्षी और पेड़-पौधे शामिल हैं। दूषित जल पीने से मनुष्य को अलग-अलग तरह की कई सारी बीमारियां जैसे पीलिया, हैजा, टाइफाइड आदि का खतरा रहता है।

नदियों तालाबों के दूषित जल को पीने की वजह से जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा पानी में रहने वाले जलीय जीवों के जीवन पर भी इसका प्रभाव पड़ता है, खतरनाक रसायनों की वजह से तालाब नदी और समुद्र में रहने वाले मछलियों और अन्य जलीय जंतुओं की मृत्यु भी हो जाती है।

जल प्रदूषण का प्रभाव कृषि योग्य भूमि पर भी पड़ता है। प्रदूषित जल उपजाऊ भूमि की उर्वरा शक्ति को कम कर देती है। इसका प्रभाव किसानों पर पड़ता है और उनकी फसलें ठीक तरह से नहीं हो पाती।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय

जल प्रदूषण रोकने के लिए कई सारे उपाय किए जा सकते हैं जैसे:

  • समय-समय पर जल स्रोतों की सफाई करते रहना चाहिए।
  • खतरनाक रसायन और कीटनाशकों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • घरों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को जल स्रोतों से दूर रखना चाहिए।
  • कल-कारखानों से निकलने वाले अपशिष्टों का शोधन होना चाहिए।
  • जल स्रोतों में नहाने, कपड़े धोने और पशुओं को नहलाने पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
  • जल प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए।

जल प्रदूषण से बचने के लिए हमें इससे होने वाली हानि के बारे में जानकारी होना चाहिए। हमें स्वयं जल प्रदूषण के प्रति जागरूक होना चाहिए और अपने समाज के अन्य लोगों को भी इसके बारे में जागरूक करना चाहिए।

विस्तार से पढ़ें: जल प्रदूषण रोकने के उपाय

जल प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस पृथ्वी पर जीने के लिए पानी सबसे ज्यादा आवश्यक चीजों में से है। इसलिए किसी भी जीवित प्राणी के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का होना बहुत जरूरी है। हर दिन हमें पानी की आवश्यकता अलग-अलग प्रकार से होती है जैसे कि पीने के लिए, कपड़े धोने के लिए, पौधों में पानी डालने के लिए, नहाने के लिए। ‌ इसके अलावा ऐसे और भी बहुत सारे काम हैं जो पानी के बिना हम करने का सोच भी नहीं सकते। लेकिन आज जिस तरह से जनसंख्या तेजी के साथ बढ़ रही है और साथ ही साथ शहरों का औद्योगिकरण पानी के स्त्रोतों को खराब कर रहा है जिसकी वजह से पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है।  

जल प्रदूषण पर निबंध 150 शब्दों में

जल हमारी इस पृथ्वी और पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग है। यह हमारे जीवन का एक बहुत ही आवश्यक स्रोत है क्योंकि जिंदा रहने के लिए हमें जल की जरूरत होती है और इसीलिए अक्सर यह कहा जाता है कि जल ही जीवन है। ऐसे में अगर जल प्रदूषण को ना रोका जाए तो उससे हमारी पृथ्वी पर से पानी खत्म हो जाएगा। आज जिस तरह से बड़े कारखाने और फैक्ट्रियां अपना कचरा और विषैले पदार्थ पानी में फेंक देते हैं उससे जल प्रदूषण तेजी के साथ फैल रहा है। 

देखा जाए तो आज हम लोग काफी उन्नति कर रहे हैं लेकिन यह हमारी प्रगति ही जल प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। पहले नदियां साफ-सुथरी हुआ करती थी लेकिन अब उनमें कूड़ा और विषैले पदार्थों के अलावा कुछ भी नहीं दिखाई देता। ऐसे में हम सबको चाहिए कि हम जल प्रदूषण को होने से रोकें जिससे कि पानी स्वच्छ बना रहे।

जल प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में

जल हमारी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करता है और इसकी वजह से ही हम इस पृथ्वी पर जीवित रह सकते हैं। जब जल में कोई बाहरी पदार्थ मिल जाता है तो वह इसके लिए हानिकारक होता है जिसकी वजह से जल प्रदूषित हो जाता है। 

ज्यादातर जल प्रदूषण की समस्या ऐसे देशों में देखी गई है जो ज्यादा विकसित होते हैं। हालांकि हमारा देश भारत निरंतर विकास कर रहा है लेकिन हमारे देश में भी अब जल प्रदूषण काफी तेजी के साथ बढ़ रहा है। ‌

जल प्रदूषण से बचने के उपाय 

यदि हम चाहें तो पानी को दूषित होने से बचा सकते हैं। इसके लिए सभी लोगों को मिलजुल कर कोशिश करनी होगी। यदि आप जल प्रदूषण को रोकने के लिए अपना योगदान देना चाहते हैं तो आप लोगों को इस बारे में जागरूक करें। इसके अलावा जल प्रदूषण को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं –

  •  किसी नदी में कूड़ा कचरा ना फेंकें। 
  • कारखानों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरे को नदियों में ना डाला जाए।
  • जो लोग नदी या फिर तालाब में कपड़े धोते हैं उस पर रोक लगनी चाहिए क्योंकि इससे जल प्रदूषण होता है। ‌
  • जल प्रदूषण को रोकने के लिए नियमित रूप से नालों की सफाई करवानी आवश्यक है। 
  • जो गांव के इलाके हैं वहां पर जल निकास हेतु के लिए पक्की नालियां बनवाई जानी चाहिए क्योंकि ग्रामीण इलाकों में आमतौर पर पक्की नालियां नहीं होती जिसकी वजह से गंदा पानी किसी ना किसी तरीके से किसी नदी या नहर में जाकर मिल जाता है। 

जल प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में

हमारी यह सारी पृथ्वी आधे से ज्यादा पानी से भरी हुई है लेकिन इसका बहुत कम भाग पानी पीने योग्य है। लेकिन जिस तेजी के साथ जल को दूषित किया जा रहा है उससे ऐसा लग रहा है कि आने वाले समय में पानी की किल्लत बहुत ज्यादा होने लगेगी। हम सब जानते हैं कि पानी हमारे लिए बहुत ज्यादा जरूरी है लेकिन इसे बचाने के लिए कोई भी प्रयास नहीं करता। अगर ऐसा ही चलता रहा तो 1 दिन सभी लोग पीने के पानी के लिए तरस जाएंगे।

जल प्रदूषण किसे कहते हैं? 

जल प्रदूषण उसे कहते हैं जब मनुष्य के द्वारा या जीव-जंतुओं के कारण या फिर प्राकृतिक आपदाओं की वजह से पानी में कुछ हानिकारक और अपशिष्ट पदार्थ मिल जाते हैं जो कि जल की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं‌। जल प्रदूषण के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार मनुष्य है। हम इंसानों के रहन-सहन और लापरवाही की वजह से आज जल प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।

जल प्रदूषण के कारण 

जल प्रदूषण होने के पीछे बहुत सारे कारण है जैसे:

  • घरों का कचरा पानी में फेंकना 
  • केमिकल कंपनियों का विषैला कचरा जिसे नदियों में डाल दिया जाता है
  • नाली में फेंका जाने वाला कूड़ा जो कभी ना कभी किसी नदी या तालाब में जा मिलता है। 
  • नदी में कपड़े धोना जिसकी वजह से पानी खराब हो जाता।
  • प्राकृतिक आपदाओं के कारण जैसे कि भूस्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट। 
  • फसलों में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक जब इस्तेमाल किए जाते हैं तो वो धीरे-धीरे बहते हुए तालाबों में या नदियों में मिल जाते हैं। 

जल प्रदूषण से होने वाली हानि 

जल प्रदूषण की वजह से इस पूरी दुनिया के जीव जंतु और मनुष्य को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। जब पानी गंदा होगा तो उसमें कई तरह की बीमारियां पनपने लगती हैं और जब कोई भी प्राणी उस पानी को पीता है तो उसे कई प्रकार के रोग लग जाते हैं जैसे कि हैजा, टाइफाइड, पेचिस, उदर इत्यादि।

कई बार तो विषैला जल पीने से लोगों की जान तक भी चली जाती है। इसके अलावा बहुत से परमाणु परीक्षण जो समुद्र में किए जाते हैं उससे भी पानी विषैला होता है क्योंकि उसमें नाभिकीय कण मिल जाते हैं। इस वजह से जितने भी जीव जंतु और वनस्पतियां समुद्र में रहते हैं वो नष्ट हो जाते हैं। 

जल प्रदूषण का समाधान 

यदि जल प्रदूषण को रोकने का प्रण कर लिया जाए तो इसे रोका जा सकता है। लेकिन इस काम को कोई एक व्यक्ति नहीं कर सकता बल्कि अभी लोगों को मिलकर कोशिश करनी होगी। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं –

  • जितने भी अपशिष्ट पदार्थ कारखानों से निकलते हैं उन्हें पानी में मिलाने से पूर्व छान लेना चाहिए जिससे कि हानिकारक तत्व अलग हो जाएं। 
  • घरों से निकलने वाली गंदगी और अपशिष्ट पदार्थों को नदी, तालाब आदि पानी के स्रोतों तक पहुंचने नहीं देना चाहिए।
  • किसानों को चाहिए कि वो रासायनिक उर्वरक की जगह अपने खेतों में जैविक खाद का इस्तेमाल करें। 
  • जितने भी परमाणु परीक्षण समुद्र में होते हैं उन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए। 
  • नदियों और तालाबों में पालतू पशुओं को स्नान नहीं करने देना चाहिए और इसके अलावा जो लोग वहां पर कपड़े धोते हैं या बर्तन साफ करते हैं उन्हें भी पूरी तरह से रोक देना चाहिए। 

आगे पढ़ें:

दोस्तों यह था हमारा आज का आर्टिकल जल प्रदूषण पर निबंध 100, 150,250, 500 शब्दों में (Water Pollution Essay in Hindi)। हमने अपने इस लेख में आपको बताया कि कैसे पानी हम सबके लिए जरूरी है और जल प्रदूषण को हम किस तरह से रोक सकते हैं। हमने अलग-अलग शब्दों में आपको जल प्रदूषण पर निबंध की जानकारी दी जो कि आपके लिए अवश्य हेल्पफुल रहा होगा। आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस पोस्ट को उन लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें जो जल प्रदूषण पर निबंध 100, 150,250, 500 शब्दों में के बारे में जानकारी ढूंढ रहे हैं। 

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