यदि आप सब हिंदी में पक्षियों के नाम जानते हैं। तो आप सब ने गरूड़ पक्षी का नाम भी जरूर सुना होगा। आज हम गरुड़ पक्षी के बारे जानकारी देने वाले हैं जो की बेहद रोचक होंगे। हिंदू धर्म में जितने भी देवी देवता हैं। सभी देवी देवताओं का अपना एक वाहन है। गणेश जी का चूहा, मां दुर्गा का शेर, शिव जी का नंदी गाय, माता सरस्वती के पास सफेद हंस, माता लक्ष्मी के पास उल्लू होता है। वैसे ही गरुड़ पक्षी भी हिंदू धर्म के किसी देवी देवता का ही वाहन है।
क्या आप बता सकते हैं कि हिंदू धर्म के कौन से देवी या देवता के पास गरुड़ पक्षी उनके वाहन के रूप में होता है? यदि आप नहीं जानते हैं तो हम आपको बताना चाहेंगे कि भगवान विष्णु के वाहन के रूप में गरुड़ पक्षी उनके साथ होते हैं। इतना ही नहीं गरुड़ पक्षी को सभी पक्षियों के राजा के रूप में भी जाना जाता है। गरूड़ पक्षी को केवल पक्षी ही नहीं। बल्कि भगवान के रूप में भी कहीं-कहीं पूजा किया जाता है।
Contents
गरुड़ पक्षी के बारे में रोचक जानकारी
- गरुड़ एक प्रकार का विशालकाय पक्षी है जो की बाज और चील के समय दिखाई देता है। इसका विशाल आकार ही इसे अन्य पक्षियों से अलग बनाता है।
- सभी पक्षियों में गरुड़ को पक्षियों का राजा माना जाता है।
- यह एक खतरनाक शिकारी पक्षी है जो की पलक-झपकते ही अपने शिकार को दबोच लेता है।
- गरुड़ पक्षी आसमान में हजारों फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है और अपनी तेज आँखों से यह इतनी ऊंचाई से भी शिकार को देख सकता है।
- इस विशाल पक्षी के पंखो का आकार 7 से 8 फीट तक होती है।
- यह पक्षी अपना शिकार खुद करती है और यह गिद्ध की तरह मुर्दाखोर नही है।
- कहा जाता है की प्राचीन काल में यह पक्षी इतना शक्तिशाली हुआ करता था की यह अपने चोंच से हाथी को भी उठाकर उड़ सकता था।
- ये पक्षी बहुत ही बुद्धिमान और चालाक होते हैं।
- गरुड़ पक्षी का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं और ग्रन्थों में मिलता है।
- गरुड़ का उल्लेख सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग, कलियुग जैसे सभी युगों में मिलता है।
- कलियुग यानी वर्तमान में भी यह पक्षी धरती पर पाए जाते हैं।
- कहा जाता है गरुड़ पक्षी का सबसे पसंदीदा भोजन नाग है।
- त्रेतायुग में जब मेघनाथ ने श्री राम को नागपाश में बाँध लिया था तब देवर्षि नारद के आग्रह पर सभी नागों को खाकर गरुड़ ने ही श्रीराम को नागपाश के बंधन से मुक्त किया था।
- गरुड़ पक्षी इंडोनेशिया का राष्ट्रिय प्रतिक है।
गरुड़ पक्षी का फोटो
यह गरुड़ पक्षी का फोटो झारखण्ड में ली गयी है। 2016 में झारखण्ड के वन विभाग के द्वारा जख्मी हालत में इस पक्षी को रेस्क्यू किया गया था।
गरुड़ की उत्पत्ति कैसे हुई?
कहा जाता है कि गरुड़ पक्षी का उद्भव सतयुग से ही हो चुका था। लेकिन इनको त्रेता एवं द्वापर युग में भी देखा गया था। वर्तमान समय में इनको कलयुग में भी कहीं ना कहीं देखने को मिल ही जाता हैं और सबसे ज्यादा यदि गरुड़ पक्षी की चर्चा कहीं होती है। तो वह है दक्षिण के एक मंदिर में। मंदिर का नाम है पक्षी तीर्थ। इस मंदिर के बारे में हम आगे जरुर बताएंगे। लेकिन वर्तमान में गरुड़ पक्षी की उत्पत्ति के बारे में हम बात करेंगे।
सतयुग में दक्ष प्रजापति नाम के एक राजा थे। जिनकी एक कन्या थी और उनका नाम था विनीता। दक्ष प्रजापति ने अपनी कन्या का विवाह एक बहुत ही प्रसिद्ध ऋषि काश्यप के साथ अपनी पुत्री का विवाह करवा दिया। काश्यप ऋषि से शादी होने के बाद जब विनीता मां बनने वाली थी। तो उन्होंने अपने प्रसव के दौरान किसी मनुष्य के बच्चे को नहीं जन्म दिया था। बल्कि दो अंडे उन्होंने जन्म दिया था।
एक अंडे से जन्म हुआ था अरूण का और दूसरे अंडे से गुरुड़ का जन्म हुआ था। सूर्य देव के सारथी के रूप में अरुण को जाना जाता है। वही भगवान विष्णु के सारथी के रूप में गरुड़ पक्षी को जाना जाता है। ऋषि कश्यप की दूसरी पत्नी थी विनीता। उनकी पहली पत्नी विनीता की बहन थी। जो सांप की मां थी और विनीता के दोनों बच्चे आधे पक्षी और आधे मनुष्य जैसे दिखते थे।
अमृत मंथन में गरुड़ पक्षी का विशाल योगदान रहा है
देवताओं के मदद के लिए हमेशा गरुड़ पक्षी तत्पर रहते थे। वह हमेशा लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। गरूर पक्षी के बड़े भाई अरुण जब एक अंडे के रूप में जन्म लिए थे तब उनकी मां विनीता ने धैर्य खो कर उनके अंडे को तोड़कर बाहर निकाला था। जिस वजह से अरुण बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए थे और उन्होंने अपने माता विनिता को अभिशाप दिया था कि वह एक दासी का जीवन व्यतीत करेंगी। यदि दूसरे अंडे से निकला हुआ बच्चा लड़का होगा। तो ही वह विनीता को अरुण के अभिशाप से मुक्त कर पाएगा।
विनीता अपने बेटे और उनके अभिशाप से बहुत डर चुकी थी। उन्होंने गरूड़ के अंडे को नहीं छेड़ा था और गुरुड़ खुद ही अंडा तोड़कर बाहर निकले थे लेकिन वह अपने बड़े भाई के अभिशाप से परिचित नहीं थे अभिशाप का पता तब चला गरूड़ को जब समुंद्र मंथन शुरू हुआ। कारण उनकी माता अपनी ही बहन की दासी बनकर रह रही थी और इस बात का खुलासा समुंद्र मंथन के दौरान ही हुआ कि क्यों विनीता इतने सालों से दासी बन कर रही थी।
समुद्र मंथन में जिस तरीके से गरुड़ ने देवों का साथ दिया था। उस साथ को देखकर भगवान विष्णु बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए थे और उन्होंने गरुड़ देव को आजीवन अमर रहने का आशीर्वाद दिया था।
वर्तमान समय में गरूड़ सबसे ज्यादा कहां पाए जाते हैं?
वर्तमान समय में गरुड़ पक्षी की प्रजाति धीरे-धीरे कम हो रही है। पूरे विश्व में इनकी संख्या 1400 से 1500 है। आज बहुत ही कम जगह में इस पक्षी को देखा जाता है। वर्तमान समय में असम, कंबोडिया और भागलपुर में गरुड़ पक्षी की प्रजातियों को देखा जा सकता है। विश्वभर में जितनी गरुड़ पक्षियाँ हैं उनमे से आधी भागलपुर में पायी जाती हैं।
कुछ अन्य रोचक जानकारियां:
- तोते के बारे में 30 रोचक जानकारी
- कबूतर के बारे में 25 हैरान करने वाले रोचक तथ्य
- मोर के बारे में 30 रोचक जानकारी
- प्रकृति और जानवरों के बारे में 50 हैरान करने वाले तथ्य
गरुड़ पक्षी की जगह आज तक कभी भी कोई नहीं ले पाया है। गरुड़ पक्षी पक्षियों के प्रजाती में सर्वश्रेष्ठ हैं। इसलिए उन्हें पक्षियों का राजा भी कहा जाता है। आपको गरुड़ पक्षी की जानकारी कैसी लगी? हमें कमेंट करके जरुर बताएं।
Q. गरुड़ पक्षी किस देश का राष्ट्रीय प्रतीक है?
Ans: इंडोनेशिया
Q. गरुड़ पक्षी कहां पाया जाता है?
Ans: वर्तमान समय में असम, कंबोडिया और भागलपुर में गरुड़ पक्षी की प्रजातियों को देखा जा सकता है।