10+ क्रांतिकारी महिलाओं के नाम और उनके बारे में जानकारी

आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं महान क्रांतिकारी महिलाओं के नाम और उनके बारे में जानकारी। यदि इतिहास को देखा जाए तो हम यह कह सकते हैं कि साहस के मामले में महिलाएं भी पुरुषों से कम नहीं होती हैं। कुछ महिलाएं इतिहास में ऐसी भी रहीं हैं जिन्होंने निडरता के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों में अपना योगदान दिया था। अपनी बहादुरी की वजह से ही वे महिलाएं भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अमर हो गई। यदि आप भी उन साहसी और क्रांतिकारी महिलाओं के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस आज के इस पोस्ट को पूरा पढ़ें। 

क्रांतिकारी महिलाओं के नाम

क्रांतिकारी महिलाओं के नाम

वैसे तो हमारे देश में कई महान क्रांतिकारी हुए हैं जिनमे कई महिलायें भी शामिल हैं। आइये उनमें से कुछ महान क्रांतिकारी महिलाओं और वीरांगनाओं के नाम और उनके बारे में जानकारी लेते हैं:

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई 

रानी लक्ष्मीबाई 

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को बच्चा-बच्चा जानता है। रानी लक्ष्मीबाई आजादी के लिए लड़ाई लड़ने वाली एक बहुत ही बहादुर और पहली नारी थी। इन्होंने बिना किसी डर के अकेले ही अंग्रेजों की सेना से लड़ाई लड़ी थी। रानी लक्ष्मीबाई की शादी बहुत ही छोटी उम्र में झांसी के राजा गंगाधर राव से हो गई थी। जब इन दोनों के कोई औलाद नहीं हुई तो इन्होंने एक बच्चे को गोद ले लिया। ‌

पर जब गंगाधर राव का निधन हो गया तो उसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उसे झांसी का राजा बनाने की इजाजत नहीं दी क्योंकि वह लक्ष्मीबाई का दत्तक पुत्र था। ‌इस तरह से अंग्रेजों ने झांसी को अपने नियंत्रण में ले लिया था पर झांसी की रानी को अंग्रेजों का ऐसा रवैया बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। बस फिर क्या था रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध विद्रोह की शुरुआत कर दी। युद्ध में अंग्रेजो ने बहुत कोशिश की कि वह लक्ष्मीबाई को पकड़ ले परंतु वह इसमें सफल नहीं हो सके। ‌अंत में रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी जान ले ली और वह कभी भी अंग्रेजों के हाथ नहीं आई। ‌

झलकारी बाई 

झलकारी बाई रानी लक्ष्मी बाई की महिला सेना “दुर्गा दल” की सेनापति और रानी के सबसे भरोसेमंद सलाहकारों में से एक थीं। उनका जन्म 22 नवंबर 1830 को झांसी में हुआ था। वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं और शत्रु को गुमराह करने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं।

वह रानी को खतरे से बचाने के लिये अपनी जान जोखिम में डालने हेतु जानी जाती है। झलकारी बाई की गाथा आज भी बुंदेलखंड की लोकगाथाओं और लोकगीतों में सुनी जा सकती है। भारत सरकार ने 22 जुलाई 2001 में झलकारी बाई के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया है। उनकी प्रतिमाएं अलग-अलग स्थानों पर देखि जा सकती हैं।

रानी वेलु नचियार

रानी वेलु नचियार

सन 1780 में रामनाथपुरम में रानी वेलु नचियार का जन्म हुआ था, उनका विवाह शिवगंगई के राजा से हुआ था। ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ युद्ध में उनके पति की मौत हो गयी फिर रानी वेलु नचियार ने पड़ोसी राजाओं के समर्थन से युद्ध लड़कर विजय हुईं।

सन 1857 के विद्रोह से पहले ही रानी वेलु नचियार ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। उन्होंने पहले मानव बम का निर्माण किया था और सन 1700 के दशक के अंत में प्रशिक्षित महिला सैनिकों की पहली सेना की स्थापना की।

बेगम हजरत महल 

begam hazrat mahal

बेगम हजरत महल हमारे देश भारत की सबसे प्रतिष्ठित महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थीं। जब 1857 का विद्रोह शुरू हुआ था तो तब बेगम हजरत महल पहली स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थीं, उन्होंने ग्रामीण इलाकों के लोगों को ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध लड़ाई लड़ने के लिए राज़ी किया था। ‌

इस तरह से उन्होंने अपने बेटे को अवध का राजा बनाया और लखनऊ पर भी अपना कब्जा कर लिया था। ऐसा करना बहुत ही मुश्किल काम था और बेगम हजरत महल ने इस काम को करके यह साबित कर दिया था कि महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से पीछे नहीं होती। ‌ 

सरोजिनी नायडू 

सरोजिनी नायडू 

पूरे भारत में शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जो सरोजनी नायडू को ना जानता हो। वह एक बहुत ही बहादुर महिला स्वतंत्रता सेनानी थी। ‌सरोजनी नायडू ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध बहुत ही साहस के साथ लड़ाई लड़ी थी। इन्हें भारत की कोकिला भी कहा जाता है क्योंकि वह एक कवियत्री थी। ‌इन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर दूसरे आंदोलनों तक बहुत ही महत्वपूर्ण रोल निभाया था और इस वजह से इन्हें जेल भी जाना पड़ा था। ‌

वे भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की दूसरी महिला अध्यक्ष भी बनी थीं।‌ जब भारत आजाद हो गया था तब साल 1949 में इन्हें दिल का दौरा पड़ा था जिसकी वजह से इनकी मौत हो गई थी। 

कित्तूर रानी चेन्नम्मा

kittur rani chennamma

कित्तूर रानी चेन्नम्मा एक भारतीय महिला क्रांतिकारी थी जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। जब इनके पति और बेटे की मौत हो गई थी तो उसके बाद इन्होंने अपने राज्य की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी और उसके बाद इन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी। ऐसा करके रानी चेन्नम्मा अपने राज्य को बचाना चाहती थीं लेकिन अफसोस कि युद्ध के मैदान में इनकी मौत हो गई। ‌ लेकिन आज भी इन्हें कर्नाटक में सबसे ज्यादा बहादुर महिला के तौर पर याद किया जाता है।

रानी गाइदिन्ल्यू

rani gaidinliu

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के समान ही वीरतापूर्ण कार्य करने के लिए रानी गाइदिन्ल्यू को ‘नागालैण्ड की रानी लक्ष्मीबाई’ भी कहा जाता है। वे भारत की नागा आध्यात्मिक एवं राजनीतिक नेत्री थीं और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था। इन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह कर दिया और करों का भुगतान करने से इंकार कर दिया तथा लोगों से भी ऐसा करने के लिये कहा।

केवल 13 वर्ष की आयु में वे नागा नेता जादोनाग के सम्पर्क में आईं। अंग्रेजों ने जादोनाग को 29 अगस्त, 1931 को फांसी पर लटका दिया। इसके बाद आन्दोलन का नेतृत्व गाइदिन्ल्यू ने संभाला। अंग्रेज उन्हें बड़ी खूंखार नेता मानते थे। गाइदिन्ल्यू को 1932 में गिरफ्तार कर लिया गया था तब वह केवल 16 वर्ष की थी और बाद में उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा दी गई। 1947 में देश के स्वतंत्र होने पर ही वह जेल से बाहर आईं।

सावित्रीबाई फुले 

savitribai phule

सावित्रीबाई फुले हमारे भारत की ऐसी महिला थी जिन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया था। इसके अलावा इन्होंने पहले भारतीय बालिका विद्यालय की स्थापना भी की थी‌।‌ इनका ऐसा मानना था कि लड़कियों के लिए शिक्षा बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि एक लड़की अपने पूरे परिवार को शिक्षित करती है। ‌इन्होंने अपने जीवन में महिला सशक्तिकरण के प्रति बहुत से काम किए थे और रूढ़ियों के विरुद्ध इन्होंने अपनी आवाज भी उठाई थी।

दुर्गा भाभी

दुर्गावती देवी

दुर्गावती देवी को दुर्गा भाभी के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1907 में इलाहाबाद मेंं इनका जन्म हुआ था और इन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य भगवती चरण वोहरा से शादी की और अन्य क्रांतिकारियों के साथ दिल्ली में एक बम फैक्ट्री का भी संचालन किया था। सन 1927 में लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिये लाहौर में बुलायी गई बैठक की अध्यक्षता दुर्गा भाभी ने की थी।

1928 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी. सॉन्डर्स की हत्या के बाद भगत सिंह को लाहौर से वेश बदलकर कलकत्ता मेल से भागने में मदद की। बाद में, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फाँसी का बदला लेने के लिये, इन्होंने तत्कालीन बम्बई के गर्वनर लॉर्ड हैली की हत्या करने का प्रयास किया जिसमें ये असफल रहीं।

अरूणा आसफ अली

Aruna Asaf Ali

अरुणा आसफ अली ने नमक सत्याग्रह में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया था। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जब इन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लिया था तो इस वजह से इन्हें जेल में जाना पड़ा था। जब अरूणा आसफ अली जेल से छूट गई तो उसके बाद इन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व भी किया था। इस बात से ही हम अंदाजा लगा सकते हैं कि उस दौर में हमारे भारत की महिलाएं कितनी साहसी हुआ करती थीं। ‌

उषा मेहता

Usha mehta

उषा मेहता भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाली एक क्रांतिकारी महिला थीं। उस समय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली यह सबसे कम उम्र की महिलाओं में से एक थी। ‌ जानकारी के लिए बता दें कि इन्होंने एक रेडियो चैनल भी चलाया था जो कि ब्रिटिश सरकार के खिलाफ था और इस वजह से इन्हें जेल तक हो गई थी। ‌

भीकाजी कामा 

bhikaji cama

भीकाजी कामा एक बहुत ही बहादुर भारतीय महिला थी जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। ‌आजादी के दौरान इन्होंने भारतीय नागरिकों में महिला सशक्तिकरण और महिला समानता के बीज बोने का काम भी किया था। पारसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली भीकाजी कामा बहुत ही साहसी और वीर महिला थीं जिन्हें आज भी उनकी वीरता की वजह से याद किया जाता है। 

कस्तूरबा गांधी

Kasturba Gandhi

कस्तूरबा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता गांधी जी की पत्नी थी जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। इसके अलावा यह राजनीतिक कार्यकर्ता के पद पर भी थी और उन्होंने नागरिकों के अधिकारों के लिए हमेशा अपनी आवाज़ उठाई थी। महात्मा गांधी की तरह इन्होंने भी भारत को स्वतंत्रता दिलाने में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ काम किया था। ‌

लक्ष्मी सहगल

Lakshmi Sahgal

लक्ष्मी सहगल भी भारतीय क्रांतिकारी महिलाओं में से एक थी और यह सुभाष चंद्र बोस से बहुत ज्यादा प्रभावित थीं। लक्ष्मी सहगल सुभाष चंद्र बोस को बहुत सम्मान देती थी और उन्हें अपना आदर्श भी मानती थी। ‌इसी वजह से वह भारतीय राष्ट्रीय सेना की सदस्य भी बन गई थीं क्योंकि इनका एकमात्र उद्देश्य अपने देश भारत को आजाद कराना था। ‌

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जितने भी आजादी के आंदोलन ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध चलाए गए इन्होंने उन सब में भाग लिया था और अंग्रेजो के खिलाफ इन्होंने लड़ाई लड़कर अपनी वीरता का सबूत दिया। ‌

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दोस्तों यह था हमारा आज का पोस्ट जिसमें हमने आपको क्रांतिकारी महिलाओं के नाम और उनके बारे में जानकारी दी। भारत को स्वतंत्रता दिलाने में जिन महिलाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया हमने उनके बारे में आपको इस लेख में बताया। हमें पूरी उम्मीद है कि आपको हमारा यह पोस्ट जरूर अच्छा लगा होगा। यदि जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे उन लोगों के साथ ही जरूर शेयर करें जो क्रांतिकारी महिलाओं के नाम और उनके बारे में जानकारी ढूंढ रहे हैं।

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