कृषि कार्य में कई तरह के उपकरण या औजारों का उपयोग होता है। आज हम ऐसे ही कुछ खेती के औजार के नाम चित्र सहित आपको बताने वाले हैं। जब से मानव सभ्यता ने फसल उगाना और खेती करना शुरू किया है तब से ही कई प्रकार के औजारों का उपयोग किया जा रहा है। समय के साथ इन औजारों और उपकरणों में सुधार होता गया है। आजकल किसान आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। वहीँ छोटे किसान आज भी पारंपरिक उपकरणों का उपयोग करते हैं। आइये ऐसे कुछ पारंपरिक खेती में उपयोग होने वाले औजार के नाम और उनके चित्र देखते हैं।
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खेती के औजार के नाम और चित्र
निचे हमने कुछ पारंपरिक कृषि उपकरणों के नाम और उनकी जानकारी चित्र सहित दी है। ये औजार लगभग हर किसान के पास पाया जाता है। इनका उपयोग सिर्फ खेतों में ही नहीं बल्कि बागवानी और छोटे-छोटे स्थानों पौधे या सब्जी की खेती के लिए भी किया जाता है। इन्हें आप खेती के घरेलु उपकरण भी कह सकते हैं।
हंसिया
हंसिया एक प्रकार का धारदार औजार है जो कि लोहे से बना होता है। इसपर लोहे का एक घुमावदार अर्धचन्द्राकार ब्लेड लगा होता है जिसका उपरी सिरा नुकीला होता है। इसे पकड़ने के लिए एक सिरे पर लकड़ी की हैंडल लगी होती है। इसका ज्यादातर उपयोग घास या फसल कटाई में किया जाता है। इसकी बनावट कुछ इस प्रकार होती है की घास को घुमावदार ब्लेड के अंदर रखकर हाथ से इसे खींचा जाता है इससे घास कटाई का काम आसान हो जाता है। हंसिया को एक हाथ से उपयोग किया जाता है। एक हाथ से घास के ऊपरी सिरे को पकड़ा जाता है और दुसरे हाथ से घास के निचले हिस्से पर हंसिया चलाया जाता है।
हंसिया का उपयोग कई तरह के कामों में किया जाता है जैसे:
- घास काटना
- फसल की कटाई करना
- खरपतवार की सफाई करने
- सब्जी या फल काटना
यह बहुत ही धारदार कृषि औजार है जो की बहुत ही पुराने समय से उपयोग हो रहा है। कुछ हंसिया ऐसे भी होते हैं जिनपर छोटे-छोटे दांते बने होते हैं और कुछ हंसिये बिना दांत वाले होते हैं।
खुरपी
खुरपा या खुरपी खेती में उपयोग होने वाला औजार है इसका आकार छोटा सा होता है। खुरपी में लोहे या स्टील का सीधा ब्लेड होता है और उसपर लकड़ी का हत्था लगा होता है। यह वजन में हल्का होता है और एक हाथ से उपयोग किया जाता है। खुरपी का उपयोग मुख्यरूप से खरपतवार की निंदाई/निराई के लिए किया जाता है। जब खेत में फसलों के बीच में घास या कोई भी खरपतवार निकल आता है तो किसान उसे जड़ से उखाड़ते हैं। अगर इन्हें जड़ से न उखाड़ा जाए तो ये दुबारा बड़े होते जाते हैं। अगर जमीन गीली है तो उसे हाथों से उखाड़ा जा सकता है लेकिन अगर मिट्टी कठोर है घास ऊपर से ही टूट सकता है। ऐसी स्थिति में खुरपी से उस खरपतवार की निंदाई की जाती है और उसे जड़ से निकाला जाता है।
खुरपी का उपयोग:
- खुरपी से खरपतवार की निंदाई की जाती है।
- घास को जड़ से उखाड़ने में उपयोग होता है।
- मिट्टी को उलट-पलट करने के काम आता है।
- किसी पौधे को उखाड़ने में भी उपयोग होता है।
कुल्हाड़ी
कुल्हाड़ी एक प्रसिद्ध औजार है और लगभग हर किसान के घर में यह पाया जाता है। कुल्हाड़ी का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। कुल्हाड़ी का उपयोग काटने के लिए किया जाता है। यह लोहे का बना होता है जिसका एक सिरा पतला और धारदार होता है और दूसरा सिरा भारी होता है और इनके बीच एक छेद बनी होती है जिसमे लकड़ी का एक लम्बा हैंडल लगा होता है। यह कृषि औजार भारी लट्ठों, लकड़ियों और अन्य कठोर चीजों को काटने में उपयोगी होता है। कुल्हाड़ी की तेज धार भारी और मोटी लकड़ियों को आसानी से काटने में मदद करती है।
कुल्हाड़ी का उपयोग कई तरह से होता है जैसे:
- लकड़ी काटने में
- लकड़ी को आकार देने में
- पेड़ की शाखाओं की कटाई करने में
- लकड़ी को फाड़ने के लिए
- इसके भारी सिरे का उपयोग ठोकने के लिए भी किया जाता है
कुल्हाड़ी एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग हजारों सालों से किया जा रहा है। यह मानव सभ्यता का सबसे लम्बा चलने वाला हथियार है जिसका उपयोग आज भी हो रहा है।
फावड़ा
फावड़े को फरसा भी कहा जाता है इसका उपयोग मिट्टी खोदने में किया जाता है। किसानो के लिए यह बेहद उपयोगी औजार है। गाँवों में फावड़ा हर किसान के पास होता है। यह लोहे या स्टील के चौकोन प्लेट से बना होता है जिसपर लकड़ी का हैंडल लगा होता है। फावड़े को खड़े होकर उपयोग किया जाता है। इससे मिट्टी खोदने और बाहर निकालने का काम एकसाथ किया जा सकता है। इसका उपयोग खरपतवार साफ़ करने में भी किया जाता है। छोटे स्थान जहाँ पर जुताई नही किया जा सकता वहां फावड़े से काम लिया जाता है। सब्जी आदि उगाने के लिए क्यारियां बनाने के लिए और क्यारी से खरपतवार साफ़ करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
फावड़ा का उपयोग:
- खुदाई करने के लिए
- कचरा साफ़ करने के लिए
- खरपतवार की निंदाई में
- मिट्टी हटाने में फावड़ा उपयोगी होता है
- समतलीकरण करने में फावड़े का उपयोग किया जाता है
- क्यारी बनाने में भी इसका उपयोग होता है
हल
हल पारंपरिक खेती के औजारों में सबसे प्रमुख है। यह खेती में इस्तेमाल होने वाले सबसे पुराने घरेलू उपकरणों में से एक है। हल से खेतों में जुताई की जाती है। हल चलाने के लिए मुख्य रूप से बैलों, भैंसों या घोड़ों द्वारा खींचा जाता है। शुरुआत में हल पूरी तरह से लकड़ी का बना होता था। लौह युग (1200-600 ईसा पूर्व) में लोहे के ब्लेड वाले हल का उपयोग शुरू हुआ। सातवीं शताब्दी की शुरुआत में बंगाल में हल के उपयोग के निशान मिलते हैं। इसका मुख्य कार्य बीज बोने से पहले खेतों की मिट्टी को उल्टा करना और मिट्टी की गांठों को तोड़ना है ताकि उप-मृदा में पोषक तत्व ऊपर तक उठ सकें।
हल का उपयोग:
- खेत की जुताई करना
- मिट्टी को उलटना-पलटना
- खरपतवार को निकालना
- मिटटी को नरम बनाना
कुदाल
किसानों के लिए फावड़े की तरह कुदाल भी एक महत्वपूर्ण कृषि औजार है। कुदाल की बनावट फावड़े की तरह ही होती है लेकिन यह फावड़े से अधिक नुकीला होता है। कुदाल का उपयोग गड्डे खोदने में भी किया जाता है। इससे छोटे स्थानों से खरपतवार हटाये जा सकते हैं और सफाई की जा सकती है। कुदाल का उपयोग कर नाली और क्यारियां बनायीं जा सकती हैं।
कुदाल का उपयोग:
- छोटे स्थानों से खरपतवार हटाने में
- गड्ढे खोदने में
- क्यारियां बनाने में
- भूमि की समतलीकरण करने में
बेलचा – Shovel
बेलचा भी खेतीबाड़ी में काम आने वाला एक कृषि औजार है। बेलचा का उपयोग भी फावड़े की तरह ही किया जाता है। इससे मिटटी खोदना, मिटटी हटाना जैसे काम किये जाते हैं। इसका ब्लेड अधिक चौड़ा होता है और स्टील या प्लास्टिक का बना होता है जो की बहुत ही मजबूत होता है। इसके साथ ही इसमें लकड़ी का लम्बा हैंडल होता है जिसे दोनों हाथों से पकड़ा जाता है। खेती के अलावा इसका उपयोग कई जगहों में होता है जैसे घर या रोड कंस्ट्रक्शन, कोयले की खदान, बर्फ वाले क्षेत्र में आधिकांश रूप से इसका उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग मिटटी, रेट, बर्फ, अयस्क आदि को खोदने और एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाने में किया जाता है।
बेलचा का उपयोग:
- मिटटी खोदने में
- मिट्टी को एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाने में
- रेत, अयस्क, बर्फ आदि को उठाने में
- कचरा साफ़ करने एवमं मलबा उठाने में
हजारा – Watering Can:
हजारा सिचाईं करने का उपकरण है जिसका उपयोग किसान के द्वारा मुख्य रूप से छोटे खेतों या बागवानी के लिए किया जाता है। लेकिन कभी-कभी भी इसका उपयोग कृषि भूमि की सिंचाई के लिए भी किया जाता है। यह एक पारंपरिक कृषि उपकरण है इसकी बनावट कुछ इस तरह होती है की एक कंटेनर में कई सारे छोटे-छोटे छेदों वाला एक फनल होता है जिससे पानी गिराया जाता है। इससे फसल और पौधों में बराबर मात्रा में पानी की सिंचाई हो जाती है। इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है और हाँथ से पकड़कर इसका उपयोग किया जाता है। इस कृषि उपकरण से पानी को बर्बाद किए बिना जरुरत के अनुसार पानी का सर्वोत्तम उपयोग करने में मदद मिलती है।
हजारा का उपयोग:
- पौधों को पानी देने में
- फसलों की सिंचाई करने में
- सिंचाई में कम पानी का सही तरीके से उपयोग करने में
- दवाओं का छिडकाव करने में
खेती में काम आने वाले उपकरण और औजारों के नाम (Farming tools name in Hindi) और उनकी जानकारी आपको कैसी लगी हमें जरुर बताएं। यदि किसी अन्य औजार के बारे में आपको जानकारी है तो कृपया निचे कमेंट करके जरुर बताएं।
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