आज भी किसी के लिए इस बात पर यकीन कर पाना आसान नहीं है कि सुशांत अब हमारे बीच नहीं हैं।
फिल्म जगत में बिना किसी सहारे और गॉडफादर के अपनी जगह बनाने में सफल होने वाले चंद लोगों में से सुशांत सिंह भी एक थे।
सुशांत सिंह राजपूत पटना के रहने वाले थे और वो पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उन्हें सब घर में प्यार से गुलशन नाम से बुलाते थे।
16 साल की उम्र में सुशांत ने अपनी माँ को खो दिया था। अपनी माँ से वे बहुत प्यार करते थे और मृत्यु से कुछ दिन पहले उन्होंने अपनी माँ की तस्वीर इन्स्टाग्राम पर शेयर की थी...
सुशांत सिंह पढ़ाई-लिखाई में काफी अव्वल थे। AIEEE परीक्षा में उन्होंने 7 वीं रैंक हासिल की थी..
सुशांत को गणित और फिज़िक्स में बहुत रूचि थी, वे फिज़िक्स में राष्ट्रीय ओलम्पियाड के विजेता भी रहे
बहुत कम लोगों को पता है की सुशांत अपने दोनों हाथों से लिख सकते थे और बराबर काम कर सकते थे. दुनिया में केवल 1% प्रतिशत लोग ऐसा कर सकते हैं
उन्होंने मैकेनिकल इंजीनिरयिंग की पढाई के लिए कॉलेज में दाखिला तो लिया लेकिन 4 th साल में ड्राप कर दिया...
एक्टिंग में करियर बनाने के लिए उन्होंने पढाई छोड़ दी थी. श्यामक डावर डांस एकेडमी ज्वॉइन करने के बाद से ही उनके लिए एंटरटेंमेंट जगत के रास्ते धीरे-धीरे खुलते चले गये।
वे एक बहुत अच्छे डांसर थे ये बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि फिल्म धूम में सुशांत सिंह, ऋतिक रोशन के साथ बैकग्राउंड डांसर थे।
दिल्ली से मुंबई आकर सुशांत ने मशहूर कोरियोग्राफर ऐश्ले लोबो से डांस सिखा और फिर उसके बाद थियेटर ज्वॉइन किया। उसी के बाद टीवी पर डेब्यू किया और फिर बड़े पर्दे तक पहुंचे।
उन्होंने अपना टेलीविज़न डेब्यू सीरियल ‘किस देश में है दिल मेरा’ से किया था। इस सीरियल में सुशांत ने प्रीत जुनेजा का किरदार निभाया था। हालांकि उन्हें पहचान मानव के रूप में पवित्र रिश्ता से ही मिली।
सुशांत सिंह राजपूत पहली बार 2013 में बड़े पर्दे पर नजर आये | सुशांत की पहली फिल्म कई पो छे थी
सुशांत सिंह को अंतरिक्ष से बहुत लगाव था। यही वजह थी कि उन्होंने इंटरनेशनल लूनर लैंड्स के जरिए चांद पर भी जमीन खरीदी ली थी।
उनके पास एक खास किस्म का एडवांस टेलिस्कोप भी था, जिसकी मदद से वो सैटर्न रिंग्स के साथ-साथ सितारों और दूसरे ग्रहों को करीब से देखा करते थे।
आज सुशांत सिंह राजपूत के निधन को दो साल हो गये लेकिन उनके चाहने वाले आज भी उन्हें भूल नही पाए हैं और शायद ही कभी भूलेंगे